Thursday, April 11, 2024

दिल से

ग़यास मतीन

ख्वाब आंखों की गली छोड़ के जाने निकले,
हम इधर नींद की दीवार गिराने निकले,
जब समुंदर पे चले हम तो ये सहरा चुप थे, 
अब पहाड़ी पे खड़े हैं तो बुलाने निकले

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