Friday, August 4, 2017

वो

उसके रहने से, घर मे खुशी रहती है,
वो नही होती तो घर मे वीरानी आ जाती है।

उसके होने का अहसास ही बहुत है मेरे लिए,
न होने के बारे में मैं सोच भी नही सकता।

आफिस में रहूँ, या कही सफर में रहूँ,
वो हर वक़्त मेरे साथ होती है।

हर वक़्त, हर पल उसकी मुस्कान साथ होती है,
वो नही होती, तो भी वो मेरे साथ होती है।

वो जो मेरी हमसफ़र है, कह नही पाता,
उससे कुछ भी, क्यों कि वो तो मैं ही हूँ।

वो जो मेरा आधा हिस्सा है, उसमे भी मैं ही हूँ,
अपेक्षा करता हूँ, वो सब जान जाएगी खुद से ही।

बिना कुछ कहे, बिना कुछ बताये, उसको,
एक दिन मुझको, पहचान जाएगी खुद से ही।

जितेन्द्र

मैं

बंज़र नही हूँ मैं
मुझमे बहुत सी नमी है,
दर्द बयां नही करता,
बस इतनी सी कमी है।