Tuesday, June 26, 2018

केशरी साहब

जहां भी रहेगा, रोशनी करेगा,
किसी चिराग का अपना मकाँ नही होता।
आज सर के साथ एक साल का साथ खत्म हो गया। पिछले साल जब अपनी पोस्टिंग के लिए मैं पीलीभीत आया, तभी से एक वाक्यांश दिलोदिमाग में बैठ गया था, "पीलीभीत मतलब केशरी साहब"।
सर अपने आप मे एक लर्निंग स्कूल है, बल्कि मैं तो कहूंगा कि वो खुद में एक "आर्ट ऑफ लिविंग" के प्रत्यक्ष उदाहरण है। एक ऐसे इंसान जिनके चेहरे पर मैने कभी चिंता की लकीरें नही देखी, कभी किसी समस्या में उलझे नही देखा। ऐसा नही था कि यहां समस्याएं नही थी। समस्याएं तो थी, जैसे अन्य जगहों पे होती है, लेकिन हर समस्या का समाधान, अपने केशरी साहब की उपस्थिति एवं अनुपस्थिति में स्वयमेव निकल आता था। पिछले एक साल में काफी कुछ यहां बदल गया। जब भी परिवर्तन होता है तो काफी समस्याएं भी होती है लेकिन हमें कभी इसका अहसास नही हुआ। जैसे एक पिता छाते की तरह धूप, बारिश से अपने परिवार की सुरक्षा करता है, वैसा ही सर का स्वभाव है। सर दूर क्षितिज के वो बिंदु है जहां पर मैं की भावना ही मिट  जाती है और हम सब मे "हम" की भावना जाग्रत हो जाती है।
जिस उम्र में आकर लोग स्वस्थ कैसे रहे, इसी की बात करते है, क्या खाएं, क्या पीये, कैसे रहे, कब सोये इसके बारे में सोचते है, तब भी शरीर रोग ग्रस्त ही रहता है, उस उम्र में, उम्र शायद सर के लिए गिनती के अंक है और कुछ नही। देश मे शायद ही कोई ऐसी जगह बची हो, जहां सर के पैर न पड़े हो। भारत का पूरा भ्रमण, वो भी इस उम्र में आकर। हममे और आपमे शायद वो ऊर्जा न हो जितनी सर में इस उम्र में भी है। बिंदास जीवनशैली, गजब की जीवटता। सर के बारे में कुछ लिखना, सर के व्यक्तित्व की विशालता के सूरज को दिया दिखाने जैसा है। वैसे तो पीलीभीत एक छोटी सी अनजान सी जगह है, यहां सीखने को बहुत नही था लेकिन शायद मैं भाग्यशाली था जो मुझे सर का सानिध्य मिला .......