Thursday, November 30, 2017

उनकी कलम से.....

MOTHER

Mother,Oh Mother!!
You are so dear,
Whenever I sad,
You bring cheer,
         
     Whenever I get hurt,
     Your eyes full of tears,
     You are like the light,
     That make my day bright,

Whatever is in my mind,
You are quick to find,
Whenever I am in confusion,
You bring me proper conclusion,

        You are my God,
        You are my heart,
        Whenever I need you,
        You are so near,
        Mother, Oh Mother.

###########################

ऐ हवा तू बता तेरी रजा क्या है
तुम इतना मचलती क्यों हो
तुम इतना इठलाती क्यों हो

मुझे पता है कि ....

तुम मन  की  मौजी  हो
कहीं भी चली जाती हो
और छटा से मन मुग्ध
खुशबुओं को लाती हो
और मन को पुलकित
कर जाती हो

इसलिए प्रफुल्लित मन
को देखकर तुम इतना
इतराती और इठलाती हो

क्या तुम मेरा भी एक काम करोगी
मेरे  महबूब के पास जाओगी
और मेरे प्यार की खुशबुओं
को उन तक पहुँचाओगी??

उनसे कहना कि.....

तुम यहाँ खामोशी से
बातें करते हो
तुमसे दूर बैठी कोई
तुम्हारी तस्वीरों से
बातें करती है!!

##########################

नए नए सपने संजोंने लगी थी
आँखें............
नए नए एहसासों से मँहकने लगा था
मन............

नए नए रंगो में घुलने लगी थी
जिन्दगी..........
उनकी प्यार भरी बातों से मिलने लगी थी खुशी...............                               

मुझे लगा मेरी हर अदा उनकी रजा
को रास आया..........
जिसे मैने बड़ी सिद्दत से शबनम की
तरह सजाया ........

तब मुझमें गुरूर आया कि उन
पर मेरे प्यार का शुरूर तो
छाया.........
                   
लेकिन चन्द लम्हों की दूरी ने
एहसास दिलाया..........
वो दो पल का शुरूर था बस
तेरा झूठा गुरूर था.......

इस प्यार भरी बरसात में
तुम कल भी प्यासी थी.......
और आज भी प्यासी रह
गयी............

जिसे तुम अपना प्यार समझ
बैठी.........
वो तुम्हारा एक भ्रम था जो
तुम्हारे दिल में समाया था.......

वो तो समय का तकाजा था
प्यार का मौसम आया  था बस
प्यार के  नगमें को गुनगुनाया
था........

बस तुम तो सपनों में चूर
थी.........
जबकी प्यार की खुशबुएँ
तुमसे कोसो दूर थी!!........
       P........✍

##########################

कसूर क्या है मेरा,किस बात
के लिए मैं हूँ जिम्मेदार??

सादगी है मेरी सजा,क्या इसके
लिए मैं हूँ जिम्मेदार?

मैने तो सोचा कि सादगी का भी
है अपना एक मजा,

मगर मेरी सादगी ही बन गयी
मेरी ही एक सजा!!

मैने एक दिन उनसे पूछा कि
क्या आप मुझसे करते हैं  प्यार?

उन्होने कहा कि मैं
क्यो करू तुमसे प्यार
तुममे ऐसी क्या है बात?
तुममे ऐसी क्या है क्वॉलिटी
जिससे मैं करू तुमसे प्यार?

परिंदो की तरह भटक रहे हैं
इधर उधर.......
एक मौके की तलाश में

कि एक दिन वो आएँ और कहें कि
जानेमन.....
हमें प्यार है तुमसे और तुम्हारी
सादगी से!!!

#############################

ऐ  घटा  तू  यहीं  क्यों  गरजती  हो......       
मेरे महबूब के यहाँ क्यों नही बरसती हो....
मेरे  दिल पर ही क्यों बिजलियाँ गिराती हो.........
उनके दिल पर भी मेरे प्यार की बिजलियाँ गिराओ तो......

मेरी यादों को उन तक पहुँचाओ तो........
जरा मेरे महबूब के यहाँ भी बरस आओ तो........
माना जब तुम बरसती हो तो चारों तरफ खुशियाँ छा जाती हैं.......

खेतों में हरियाली आ जाती है..........
फिज़ाओं में रंग बिरंगे फूल खिल जाते हैं.....
जीव जन्तु सब प्रमुदित  हो जाते हैं....

आसमान में पंक्षियाँ  घूम घूम कर गानें लगती हैं......
बागों में मोर झूम झूम कर नाचने लगता है........
तरूगन  भी अपनी मस्ती में झूमने लगता है..........

लेकिन जब तुम गरजती हो तो मेरे दिल की धड़कन बढ़ जाती है.........
मेरी साँसें तेज हो जाती हैं...........
और जब तुम बरसती हो  तो भूली
बिसरी सारी यादें जाग जाती हैं.........

उनके दीदार को आँखें बेकरार हो जाती हैं...........
और ये  आँखें भी तुम्हारे साथ बरस जाती हैं.........
इसीलिए ऐ घटा तुम सिर्फ यहीं मत गरजों.............
जरा मेरे महबूब के यहाँ भी बरसों.......

अरे जो पत्थर दिल लेके बैठे हैं......
उनके दिल पर मेरे  प्यार की मीठी
मीठी बूँदें तो बरसाओं..........

उनके दिल पर मेरे प्यार की ठंडी
ठंडी बरसातें करके उनके दिल को
तो पिघलाओ..........

प्यार की भीनी भीनी सौंधी सौंधी
बौछारें तो लाओ..........

उनके तन को तो मँहकाओ........

मेरे प्यार के एहसासों को एक बार
फिर से उनके मन में तो जगाओ......
                
जरा मेरे महबूब के यहाँ भी
बरस आओ.......

पूनम की कलम से साभार.............

No comments:

Post a Comment