Sunday, November 19, 2017

बेमन का काम

जिंदगी बहुत बोझिल सी कट रही है। मैं वो काम कर रहा हूँ, जो मेरे घर, परिवार के लोग चाहते है कि मैं करू। पर पता नही मैं ये काम करना चाहता हु या नही? मुझे नही मालूम। मैं उस मुकाम पे हूं, जहा पहुंचने का बहुत लोग सपना देखते है। पर मुझे सच मे अपनी जिंदगी से क्या चाहिए, मुझे नही मालूम। मेरे घर परिवार के लोग चाहते थे, मैं ये काम करू, जो की मैं कर रहा हु। मैं क्या करना चाहता हु, ये मैं ही नही जानता। जब मैं सिविल की तैयारी में नही आया था, तब मेरा कुछ सपना था। मैं एक लेखक बनना चाहता था, और जब मैं फार्मेसी पढ़ रहा था, तब एक वैज्ञानिक। मैंने वैज्ञानिक और लेखक बनने के लिए कुछ हाथ पांव भी मारे। पर उम्मीद के मुताबिक सफलता नही मिली। तब उस वक़्त मेरे घर के लोगो को लगता था कि मैं व्यवसाय ही करू, और पारिवारिक व्यवसाय में उनकी सहायता करू। पर व्यवसाय से मुझे चिढ़ थी। इसलिए मेरा मानना था कि मैं कुछ भी कर लूंगा, पर व्यवसाय में नही आऊंगा। फिर 2008 में एक बार जब मैं पुलिस की ज्यादती का शिकार हुआ। मेरी आत्मा अंदर तक हिल गयी थी। वो घटना एक दुःस्वप्न की तरह मेरे साथ कई सालों तक रही, और मुझे परेशान करती रही। आज भी कभी कभी मुझे उसकी दर्द होता है। इसी के साथ, कुछ और घटनाये, जिनमे मुझे एहसास हुआ था कि मेरी कुछ अहमियत नही। जैसे एम फार्म करने के बाद जब मैं घर आया तो उसके बाद कि कुछ घटनाये। कुछ लोगो ने मुझे रिजेक्ट किया, कुछ ने कुछ कॉमेंट किये, मेरे परिवार पर, पिताजी पे कॉमेंट किये गए। कुछ ऐसी ही घटनाये थी, जिनके कारण मुझे एहसास हुआ, की मेरा और मेरे परिवार का कोई वजूद नही है। मुझे मेरे पिताजी की लाचारी का अहसास हो रहा था। उन्हें समाज मे जो यथोचित सम्मान मिलना चाहिए था, वो नही मिल रहा था। शायद यही सब कारण थे कि मैं सिविल में आया। समाज मे उस यथोचित सम्मान की लालसा में मैं इस क्षेत्र में आया।
कोई नौकरी की तलाश में इस क्षेत्र में आता है, कोई अमीर बनने की ख्वाहिश में। कोई अपनी पारिवारिक परंपरा को बरकरार रखने की चाह में, तो कोई सम्मान की चाह में। मैं इस क्षेत्र में सम्मान की तलाश में आया। अब क्यों कि वो लालसा पूरी हो गयी है तो मुझे इस क्षेत्र में रहने का कोई तुक नज़र नही आता। पर मैं चाह कर भी अब इस प्रोफेशन को नही छोड़ सकता।
कभी कभी सोचता हूं कि आईएएस परीक्षा की तैयारी करु, लेकिन अब लगता है कि पढ़ाई का क्रम टूट गया सा है। मैं हर महीने क्रॉनिकल मैगज़ीन, योजना मैगज़ीन खरीद कर इस उम्मीद के साथ रूम पर लाता हु की पढूंगा, तैयारी करूँगा। पर मेरी पढ़ाई अब हो नही रही है। सुबह से शाम तक केवल टाइम पास करता रहता हूं। क्या करूँ? कैसे अपने अंदर इच्छाशक्ति उत्पन्न कर की तैयारी में मन लगे। मैं चाहूं तो पढ़ सकता हूं, पर चाहू कैसे? यही नही समझ मे आ रहा।

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