प्यारी पू-र्णि-माँ,
पिछले साल के दिसंबर से इस साल के दिसंबर के बीच हमने एक साल का सफर साथ में तय कर लिया है। इस बीच हमारे तुम्हारे रिश्ते के बीच कई उतार चढ़ाव आये पर तुम्हारे साथ रहना मुझे हमेशा बहुत अच्छा लगता रहा। तुम नही होती हो तो तुम्हारी कमी खलती है। ना जाने कैसे तुम मेरी जिंदगी में आई, चुपके से, और दिल की किसी कोने में अपनी जगह बना गयी। मुझे पता ही नही चला, की कब मुझे तुम्हारी लत लग गयी, कब तुम मेरी जरूरत बन गयी, और कब तुम जरूरत से भी बढ़कर मेरी हमसफर बन गयी।
तुम्हे तो स्मरण ही है की दिसंबर की शुरुआत को हमारी शादी के 1 साल पूरे हो जाएंगे। सच्चे अर्थों में शायद मुझसे शादी करके तुमने मुझपे अहसान किया है। इस बात के लिए मैं तुम्हारा तहेदिल से शुक्रगुजार हूं। मुझे याद है, जब हमारी तुम्हारी पहली बार बात हुई थी, जब मैं तुम्हे देखने गया था, तुम्हारे घर। मैंने तुम्हें देखते ही पसंद कर लिया था। पर तुम्हारे व्यवहार से अनभिज्ञ होने के कारण कुछ सशंकित था। पर तुमसे बात करके मेरी उस शंका का भी निवारण हो गया। उस दिन तुम्हे देख के जब मैं घर लौटा, तो दादी ने मुझसे पूछा था, तुम्हारे बारे में मेरी क्या राय है। मैंने उन्हें बेहिचक बता दिया था की उम्मीद से बेहतर! उम्मीद से ज्यादा! दादी, पापा तो पहले से ही तुम्हारे पक्ष में थे। वो बस मेरी रजामंदी का इंतज़ार कर रहे थे।
मुझे ये भी बाते याद आती है जो कि तुम कभी कभी मुझे बताती थी अपने पिता जी के बारे में। कैसे उनके जाने के बाद तुम अकेली हो गयी थी, शायद अंदर से बहुत टूट चुकी थी। एकाकीपन, सूनापन, निराशा और भविष्य को लेकर अनिश्चितता ने तुम्हे अंदर तक झकझोर दिया था। किस तरह कोई तुम्हारी जिंदगी में रोशनी की किरण बन के आया। मुझे याद है, आज भी याद है।
उस वक़्त तक मैने तुम्हे अपने बारे में हर एक बात भी बता दी थी, मेरे भूत से लेके भविष्य की हर एक बात मैने तुम्हे बताई थी, सिवाय एक बात के और वो ये की तुम खुद मेरी जिंदगी में एक रोशनी की किरण बन के आयी थी। तुम्हे मैने ये बात कभी नही बताई की मेरा शादी के बंधन से विश्वास ही उठ चुका था। मेरे आस पास उन दिनों शादी के ऐसे उदाहरण मौजूद थे, और आज भी है जिनके बारे में जानकर मेरा शादी के रिश्ते से विश्वास ही डगमगा गया था। उस वक़्त तुम्हारे साथ ने मुझमे आत्मविश्वास का संचार किया था। मैं मेरे पिताजी और दादी की जिद के आगे हार गया था। दादी ने तो घर ही छोड़ दिया था। उनका कहना था जब तक मैं तुमसे शादी करने के लिए हाँ नही बोल दूंगा, वो लौट कर घर ही नही आएंगी। आज तुम मेरे साथ हो तो मेरे पिता जी और मेरी दादी की बदौलत। वास्तव में मुझमे समझ की कमी थी। लोगो को पहचानने में अभी मैं कच्चा हूँ।
सच कहूं तो तुम्हे पा कर मैं बहुत खुश हूँ पर तुम्हे हर वक़्त, हर पल मैं ये बात तो नही बता सकता। इसलिए कभी कभी जब गुस्से में मैं तुम्हे कुछ कह देता हूँ, तुम्हे डाँट देता हूं, कही का गुस्सा तुम्हारे पे उड़ेल देता हूँ तो मुझे बहुत पश्चाताप होता है। नाहक ही मैंने तुम्हारा दिल दुखाया। मन अपराधबोध से भर जाता है कि मैंने तुम्हारी कोमल भावनाओ को ठेस पहुंचाई। और बाद में इसके लिए मैं तुमसे माफी भी मांगता हूं। तुम्हे याद होगा, कई बार मैने तुमसे एक ही बाते कही है कि मेरी बातों को हल्के में लिया करो। कई बार समझाया भी की मैं गुस्सा करूँगा ही...बस तुम नाराज़ मत हुआ करो, मैं गुस्सा करना नही छोड़ सकता.. सॉरी! ये आदत नही बदल पाऊंगा, आई मिस यू एंड आई लव यू टू...लेकिन मैं गुस्सा करूँगा! करूँगा! करुँगा! तुम अपने मे परिवर्तन लाओ। मुझसे उम्मीद न रखो। मैं खुद को नही बदल सकता। तुम खुद को बदलो।
तुम मेरी बात मानती तो हो, और कहती भी हो कि ठीक है! पर ठीक है कहने से काम नही चलेगा। कल तुम फिर वही गलती दुहराती हो। फिर आंसू बहाती हो, तनाव लेती हो। तुम्हे पता है कि आजकल तनाव ले कर सोचने की बीमारी बहुत लोगो को है। अब तुम भी इसी जमात में शामिल होने की चेष्टा कर रही हो। मैं नही चाहता कि तुम भी सोचने वाली बीमारी से ग्रसित हो जाओ।
एक बात और, जो कभी कभी मैं गुस्से में आकर तुमसे कह देता हूँ, की तुमने मुझे धोखा दिया। मुझे नही मालूम कि ये कितना सच है कितना झूठ। क्योंकि मैं सुबह से लेकर शाम तक ऐसी बहुत सी बातें कहता हूं जो कि झूठ होती है। या मुझे खुद नही पता होता कि जो कुछ भी मैं बोल रहा हूं वो सच ही है या झूठ। ये सच है कि मैंने हमेशा ये ये चाहा कि मेरा हमसफर कुछ रचनात्मक व्यक्तित्व का धनी हो। इसके पीछे निश्चितरूप से मेरा स्वार्थ ही है। किसी से उम्मीद करना कोई बुरी बात नही। मैंने भी तुमसे उम्मीद की। उम्मीद का पूरा हो जाना बहुत अच्छा होता है। लेकिन ये सच्चाई का केवल एक ही पहलू है क्यों कि उम्मीद का पूरा न होना भी उतना ही सच है। ये निर्भर करता है कि जिससे उम्मीद की जा रही है वो उम्मीद के प्रति कितनी रुचि ले पा रहा है। कई बार रुचि न होने के कारण, उम्मीदे पूरी नही हो पाती। इस बात को मुझे समझना चाहिए था लेकिन मैं नासमझ हूं ना! नही समझ पाया। फिर भी मेरी उम्मीद को पूरा करने को लेकर तुम गंभीर हो, और उसके प्रति रुचि भी दिख रही हो, इसके लिए तुम्हारा धन्यवाद। और मेरे इस कथन से तुम्हे जो पीड़ा पहुंची है, उसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं।
"Hold on to your dreams, do not let them die, we are lame without them, birds that can not fly..." Ruskin Bond
Tuesday, November 28, 2017
पहली सालगिरह....
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my diary
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