Saturday, November 25, 2017

मैं क्या कर रहा हूँ......

कभी कभी मेरे मन मे ख्याल आता है,
दुनिया मे कितने प्रतिभाशाली लोग है,
जो दिन रात मेहनत करते है, सफल होने के लिए,
और फिर मैं खुद की तुलना उनसे करने लगता हूं।

सोचता हूं, "सफल होने के लिए",
"अपना नाम रोशन करने के लिए",
"लोग क्या क्या नही करते!",
"और एक मैं क्या कर रहा हुं"?

क्या कर रहा हूँ?
मैं क्या कर रहा हूँ?
कुछ नही कर रहा,
बस वक़्त काट रहा हूँ।

जिंदगी मेरी एक प्रयोगशाला है,
और मैं उसका अकेला वैज्ञानिक,
मेरी ही थ्योरी है, मैं ही उसका प्रमाण हूँ,
मैं ही उसको सिद्ध करता, मैं ही नकारता हूँ।

जाने क्या मुझे सिद्ध करना है?
जाने क्या और किसे दिखाना है?
एक भटका हुआ मुसाफिर हूँ,
या फिर कोई दिले नादान हूँ?

जितेंद्र

No comments:

Post a Comment