Friday, September 7, 2012

कसक..


"कुछ कसक थी शायद,
मन में दबी हुयी,
सिसकियाँ तो आई,
पर किसी ने ना सुनी.

कुछ देर तलक शायद ,
मैं देखता रहा उसको,
फिर मैं भूल गया उसको,
वो भूल गयी मुझको."

"जीतेन्द्र गुप्ता "

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