Monday, October 9, 2017

वंशज

उम्र यही कोई 10-12 साल रही होगी उसकी। मैं स्टेशन पर अपनी गाड़ी का इंतज़ार कर रहा था, की वो मेरे सामने आ गया। हाथ मे उसके पिटारा था, और एक सांप उसमे बैठा हुआ था। सांप अपना फन इधर उधर हिला लेता था। पर ध्यान से देखने पर यह लग रहा था कि सांप उदास सा बेमन से उस पिटारे में बैठा हुआ था। लगता था कि जैसे वो अपनी जिंदगी से ऊब गया है।
आम तौर पर बहुत सी चीजों की तरह, सांप से भी हमे डरना सिखाया जाता है। पर शायद उसके गुरु ने या माँ-बाप ने उसे सांप से डरना नही, उसे पालना सिखाया होगा। एक हुनर जो हर बाप अपने बेटे को जीते जी दे के जाता है ताकि उसका बेटा अपनी जिंदगी में गुजर बसर कर सके।
"नाग देवता का आशिर्वाद ले लीजिए!" उस बच्चे ने कहा।
हालांकि मेरा इन धार्मिक मान्यताओं पर विश्वास नही है पर फिर भी मैंने अपने बटुए से कुछ सिक्के निकाले, और उसके हाथ मे पकड़ा दिए। वो बच्चा पैसे लेके चलता बना। आमतौर पर मैं भीख देने से परहेज करता हूँ। पर उस लड़के में मुझे कुछ ऐसा लगा कि मैं खुद को रोक नही सका। शायद वो बच्चा सदियों पुराने उन लोगो का वंशज था, जिन्हें देखकर अंग्रेजो ने भारत को सपेरों का देश कहा था। एक तरह से वो हमारी परंपरा एवं संस्कृतियो का संरक्षण कर रहा था। जिन सांपो से हम डरते है, और उन्हें देखते ही मार डालते है, वो बच्चा उन्हें पाल रहा था यानी अप्रत्यक्ष रूप से सापों को पालकर वो उनका संरक्षण भी कर रहा था। 
आजकल के आधुनिक प्रगतिशील विचारो का अपना महत्व है उन्हें नज़रअंदाज़ नही किया जा सकता जैसे उस बच्चे को इस उम्र में पढ़ना चाहिए, एवं एक सभ्य नागरिक बन के देश एवं समाज की उन्नति मे अपना योगदान देना चाहिए। पर इन्ही सब के कारण तो भारत विविधताओं का देश माना जाता है।

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