मैं भूल कर भी तुम्हे भूल ना सका,
जो बात कहनी थी वो कह ना सका,
आज सुबह जब आइना देखना चाहा,
"वो मेरी ही शक्ल थी?" मैं कह ना सका.
रह-रह कर तुम मुझे याद आते हो,
रह-रह कर तुम मुझे याद आते हो,
जब-तब यादों की बरसात कर जाते हो,
बस भी करो अब और ना सताओ,
अब चैन से रहने दो मेरे पास ना आओ.
बहुत वक़्त गुजरा तुम्हारी यादों में,
बहुत वक़्त गुजरा तुम्हारी यादों में,
पर पत्थरों को तरस कहाँ आता है,
कहो तो गुजार दूँ सारी उम्र तनहा,
पर अंधेरो को रौशनी कहाँ भाती है.
A very happy and prosperous new year to all my blog readers.....
Jitendra Gupta
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteनववर्ष मंगलमय हो..