Saturday, December 16, 2017

इन दिनों...

हम शायद इस दुनिया मे कुछ कड़वे अनुभव लेने के लिए ही आते है। कौन जानता है कि ये दुनिया सत्य है या मिथ्या है? लगता है जैसे जब मौत होगी तो नींद से उठूंगा, और इस दुनिया के मिथ्या रूप का भान होगा। लगता है जैसे ये दुनिया एक सपना है, मौत के बाद ही नींद खुलेगी। गीता के अनुसार हम खाली हाथ आये है, खाली हाथ जाएंगे।

ताल्लुक कौन रखता है किसी नाकाम से लेकिन,
मिले जो कामयाबी सारे रिश्ते बोल पड़ते है,
मेरी खूबी पे रहते है यहाँ अहले जबाँ खामोश,
मेरे ऐबों पे चर्चा हो तो गूंगे बोल पड़ते है।

यूँ तो मुझमे कोई ऐब नही,
बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर,
क्यों कि मुझे मेरी औकात अच्छी लगती है।

सुबह की सैर.....
आजकल बनकटी, पीलीभीत के मार्ग पे सुबह की सैर को जा रहा हूँ। हालांकि ये वही मार्ग है, जिसपे बाघ अक्सर जंगल से निकल आता है, और लोगो पे हमला कर देता है। पर आजतक मेरी बाघ से मुलाकात नही हुई। सुबह जाते वक्त कुछ डर तो लगता है, लेकिन बाघ दिखने की जिज्ञासा भी रहती है। लगता है जिस दिन बाघ से मुलाक़ात होगी, या तो बाघ रहेगा या मैं....

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