Friday, July 28, 2017

असमंजस

कुछ ख्वाहिशें,
जो पूरी होने को है,
कुछ ख्वाहिशें,
जो पूरी करने को है।

कुछ काम,
जो आज ही करने है,
कुछ काम,
जो आगे करने को है।

कुछ सपने,
जो पूरे हो चुके है,
कुछ सपने,
जो पूरे करने को है।

अतीत, भविष्य,
और वर्तमान,
में उलझी
मेरी जान।

आज की उलझन,
आज की भागदौड़,
कल क्या है करना,
नही है कोई सोच।

सोचता हूं, आज करूँगा!
सोचता हूं, कल करूँगा!
और ये भी की, ये करूँगा!
और, वो करूँगा!

पर न आज आता है,
न कल आता है,
न ये करता हूँ,
न ही वो करता हूँ।

हर एक दिन आता है,
और गुज़र जाता है,
फिर अगला दिन आता है,
और वो भी गुज़र जाता है।

पर मैं उदासीन रहता हूं,
किसी से कुछ नही कहता हूं,
शायद उदास रहता हूं?
या नही भी रहता हूँ?

शायद मैं खुद को नही पहचानता?
अपने से बात करता तो हूं रोज़,
पर अपने आप को ही नही जानता?
या जानना ही नही चाहता?

मुझे नही पता,
मुझे क्या करना है?
जिसने जो कहा,
क्या वो ही बनना है?

मैं निर्णय नही लेता,
असमंजस में रहता हूं,
शायद यही मैं हूँ,
शायद यही मेरी पहचान है।

शायद मुझे कुछ नही करना,
मुझे कुछ नही बनना,
शायद यही मेरी नियति है,
शायद यही मेरा भाग्य है।

जितेंद्र



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