काल्पनिक दुनिया के ये मुस्कराते हुए चेहरे,
मैं भी उनके जैसा मुस्काने की कोशिश करता हूँ,
उनके जैसे ही बनने की कोशिश करता हूँ,
पर सफल नही होता, औंधे मुंह गिरता हूँ।
मैं "मैं" नही होना चाहता, वो बनना चाहता हूं,
जो मैं हु ही नही, जिसमे मेरी खुशी नही,
और जिसमे मेरी खुशी है, मैं अकेला पड़ जाता हूं,
जैसे कि मैं हु ही नही, मेरा अस्तित्व ही नही...
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