वो एक नन्हा सा कीड़ा था,
जिसे अभी मैंने मसल दिया.
सोचता हूँ, कि "क्या इसका भी-
भविष्य उसी ईश्वर ने लिखा था."
यह एक संयोग था, या
पूर्व निश्चित था कि,
उसे मेरे हाथों मरना है?
और मैं एक कातिल हूँ.
क्या ईश्वर इतना खाली है, कि-
"हर जीव का भाग्य लिखता है?"
या यह सिर्फ मेरा वहम है,
और ईश्वर कही नहीं है.
पता नहीं की, वो है या नहीं है?
और भाग्य लिखता भी है या नहीं?
पर ये सच है की मैंने उसे मारा है,
और मैं कुछ और को ढूंढ रहा हूँ.
जितेन्द्र गुप्ता
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