Monday, May 13, 2024

दिल से

मेरे मुखालिफ़ों में चर्चा है कि शख़्स काम का है, मगर दो ऐब हैं उसमें।
एक तो सर उठा कर चलता है, दूजा मुँह में ज़बान रखता है ।।

Sunday, April 14, 2024

दिल से

तबस्सुम आज़मी 
ये भी नहीं कि हम ने भरोसा किया न हो
ये भी नहीं कि आँख से पर्दा हटा न हो 
ये भी नहीं कि आप समझ पाएँ दिल की बात
ये भी नहीं कि आप को कुछ भी पता न हो .

Thursday, April 11, 2024

दिल से

 खुर्शीद साहब की शायरी,
हमेशा दिल में रहता है कभी गोया नहीं जाता, 
जिसे पाया नहीं जाता उसे खोया नहीं जाता। 
बहुत हंसने की आदत का यही अंजाम होता है, 
कि हम रोना भी चाहें तो कभी रोया नहीं जाता। 

दिल से

ग़यास मतीन

ख्वाब आंखों की गली छोड़ के जाने निकले,
हम इधर नींद की दीवार गिराने निकले,
जब समुंदर पे चले हम तो ये सहरा चुप थे, 
अब पहाड़ी पे खड़े हैं तो बुलाने निकले

Sunday, February 3, 2019

इंतज़ार..

बस पत्ते ही झड़े है,
जड़ो से नही सूखा हूँ,
ये मौसम की बेरुखी है,
जो ऐसा हो गया हूँ..

मेरा भी मौसम आएगा,
जब सूरज धरा तपायेगा,
बारिश की बूंदे बरसेंगी,
जब नभ काला हो जाएगा..

उस दिन के इंतज़ार में हूँ,
उस दिन ही पत्ते निकलेंगे,
अभी तो जड़ें गहरा रहा हूँ,
शायद खुद को तलाश रहा हूँ..

जितेंद्र..

Wednesday, January 30, 2019

Nostalgia...


यादों के अरण्य में,
भटकते है हम,
जिन्हें खोजते है,
और सोचते है हम..

कहीं छाया दिखती है
कहीं भ्रम होता है,
उनकी आहट मिलती है,
और खो जाते है हम..

यही वो मिला था,
वहां वो हंसा था,
कहाँ वो जुदा था,
सोचते है हम..

पर उन जगहों पर,
वो नही मिलते,
मिलते है तो बस,
उनकी यादों से हम..

जितेंद्र...



Thursday, January 24, 2019

वजूद..


तुम्हे खोजता हूँ,
या खुद को,
तुम एक बहाना हो,
कह दो मुझको..

वजूद मेरा है,
या अस्तित्व तुम्हारा,
तुम एक फ़साना हो,
लगा जैसे मुझको..

मेरी कोई ख्वाहिश,
या तुम्हारी तलाश,
तुम! सच मे तुम हो?
लगता नही मुझको...

जितेंद्र..